Saturday, March 27, 2010

समान्तर सवाल

देश का सबसे बड़ा मुकदमेबाज कौन है? सबसे अधिक गैर कानूनी काम कौन करता है? साल में सबसे अधिक हत्या, सबसे अधिक राहजनी कौन करता है? वह कौन गिरोह है कि जो गुजरे दस सालों में पांच सौ से अधिक हत्याएं कर चुका हो? सबसे अधिक काला धन किसके पास है? महिला आरक्षण बिल पास करने की जद्‌दोजहद से जूझ रही संसद को क्या इसका संज्ञान है कि विश्व की बाल-वेश्याओं में भारत की बेटियां सबसे ज्यादा हैं? इस सिहरा देने वाले प्रश्नों के सार्थक उत्तर भी देता चलूं।
 
'भारत संघ' और 'राज्य' देश के सबसे बड़े मुकदमेबाज हैं। उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के लगभग 80 प्रतिशत फैसले उच्च न्यायालय में खारिज कर दिए जाते हैं। यानी उत्तर प्रदेश सरकार का लगभग 80 प्रतिशत आचरण विधि सम्मत नहीं है या गैर कानूनी है। उत्तर प्रदेश जैसा ही हर राज्य सरकार का हाल है। उत्तर साफ है– सबसे अधिक गैर कानूनी काम राज्य सरकारें कर रही हैं। गुजरे साल उत्तर प्रदेश में पुलिस अभिरक्षा में 54 लोग मारे गए थे। किसी भी अन्य गिरोह ने एक साल में इतने लोगों की हत्या नहीं की और दस साल में तो लगभग पांच सौ लोग उत्तर प्रदेश पुलिस के वर्दीधारी गिरोह ने मार डाले। बिहार और मध्य प्रदेश पुलिस क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर रही। यह तो था सरकार के चरित्र के बारे में सरकारी रोजनामचों में दर्ज सरकारी सच। अब अगला सवाल था कि वह कौन सा गिरोह है जो सबसे अधिक राहजनी करता है? देश-प्रदेश के लगभग हर चौराहे पर भिखारियों की तरह ट्रक-टैक्सी वालों के आगे फैले हाथ वहां के स्थानीय थानों की पुलिस-ट्रैफिक पुलिस के ही होते हैं और रात को इस कार्रवाई में पुलिस के हथियारबन्द सिपाही उगाही करते देखे जा सकते हैं। क्या इस प्रत्यक्ष को प्रमाण की भी जरूरत है?
 
सबसे अधिक काला धन किसके पास है? नेता? - नहीं, अभिनेता? - नहीं, स्मग्लर -? नहीं, इनके यहां काला धन पकड़ने वालों के पास सबसे अधिक काला धन। आयकर के अधिकारी, बिक्रीकर के अधिकारी, कस्टम, एक्साइज के अधिकारी। फिर इन पर कहीं किसी अदालत में कोई शिकायत क्यों नहीं होती? अरे भाई, हकीकत जानिए, देश की सबसे बड़ी अदालत यानी सर्वोच्च न्यायालय के जज साहबान पूरे देश की सम्पत्ति जानना चाहते हैं पर अपनी सम्पत्ति का खुलासा करने से मुकर गए हैं। आयकर, बिक्रीकर, कस्टम, एक्साइज, ट्रैफिक ऑफिसर और विभिन्न श्रेणी के तमाम कर्मचारी, अधिकारी, पेशकार और कई जज साहबान। अब किससे शिकायत करेंगे आप।
 
सोचा था कि साहब से शिकायत करेंगे,
लेकिन वह कमबख्त भी उनका चाहने वाला निकला।
 
पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय की एक जज थीं निर्मल यादव। उन पर घूसखोरी के घनघोर आरोप थे। सक्षम न्यायपालिका और सरकार उनके बचाव में उतर आई और उन्हें पुरस्कार में देव भूमि उत्तराखंड उच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश बना दिया गया।
 
देश की 'हलाल' होती जनता देश में 'हराम' करते इन हरामखोरों, घूसखारों के भ्रष्टाचार पर ध्यान न दे, इसके लिए विद्वान अपनी परिकल्पना से परावैज्ञानिक और परमवैज्ञानिक प्रतिस्थापनाएं प्रतिदिन प्रतिपादित करते हैं। कोई कहता है ओजोन की परत में छेद है और ऑक्सीजन का भूमंडल से रिसाव हो रहा है। कोई नहीं कहता कि देश की अर्थव्यवस्था में छेद है और उससे कालेधन का प्रवाह हो रहा है। कोई कहता है ग्लोबल वार्मिंग है। भूमंडलीय तापमान बढ़ रहा है। कोई नहीं कहता है कि जनता ठंडी पड़ रही है। भारतीय अर्थव्यवस्था के स्वयंभू जानकारों का आकलन यह है कि देश के सकल घरेलू उत्पाद का लगभग 50 प्रतिशत घूस, सट्‌टा,  तस्करी में लगा धन है जिसका राष्ट्र निर्माण में आकलन करना ही बेमानी और बेइमानी है। चूंकि भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 61 लाख 64 हजार करोड़ है जिसमें अनुमानत: 25 लाख करोड़ रुपए घूस, तस्करी और अन्य काले कारोबार के टर्नओवर में सक्रिय है। सवाल है कि जब सरकारें अपना अधिकांश समय और संसाधन गैर कानूनी अवैध कामों में लगा रही हों। न्यायपालिका के पीठासीन जज अपनी सम्पत्ति का खुलासा करने से कतरा रहे हों, इस पर नियंत्रण लगाने के लिए विधायिका बांझ नजर आए और किसी भी सार्थक कानून को जन्म न दे सके, नौकरशाही जन उत्पीड़क हो, पुलिस कातिलों का गिरोह और राहजन बन चुकी हो तब एक नए समाज, नई राजनीति, नई संस्कृति का सृजन करना ही होगा। अभिव्यक्त को खतरे उठाने ही होंगे। अगर हम समवेत रूप से हंस नहीं सकते तो संवेद रूप से रो ही लें। मैं जानता हूं कि अरण्यरोदन की स्थिति है, यह पर तुम्हारे यों एक साथ, पुरजोर रोने से भी कई भेड़िये भाग जाएंगे और कदाचित एक नई सुबह आएगी।
 
''दिन तो होता है अम्बर में पर रात हमारी आंखों में,
सपनों को चुरा गया कोई, कुछ गीत सुनाने से पहले।''

 
(Published in By-Line National Weekly News Magazine (Hindi & English))

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