Tuesday, April 3, 2012

प्यार के छल की नमी क्यों नापते हो

"मेरी आवाज़ खो जाने दो अंधेरों में,
अनंतों की अवधि क्यों नापते हो .
आसमानों का अहसास तो है हमको
असमानों से आस तो है ओस जैसी
सत्य का सूरज जब हो निगाह में तेरी
प्यार के छल की नमी क्यों नापते हो." -- राजीव चतुर्वेदी 

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