Monday, February 25, 2013

तुम उसे कविता क्यों समझ बैठे

"मेरे जज़बात मेरे जख्मों से वाबस्ता थे ,

मैं कराहा था तुम उसे कविता क्यों समझ बैठे ."
---राजीव चतुर्वेदी